30 मई पत्रकारिता दिवस पर विशेष
कानपुर के जुगल किशोर शुक्ल ने किया उदंत मार्तंड का संपादन
संकलन-गीतेश अग्निहोत्री/सुनाद न्यूज
कानपुर,30 मई 2023। कानपुर के जन्म और नाम को लेकर भले ही विद्वानों में विवाद रहा हो पर निसंदेह यह वीरों,पत्रकारों,कवियों शायरों,क्रांतिकारियों की भूमि रही है। यहां के पत्रकारों और साहित्यकारों कवियों ने दुनिया भर में अपना लोहा मनवाया है।
हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड निकालने का श्रेय पण्डित जुगुल किशोर शुक्ल को जाता है। पण्डित जुगुल किशोर कानपुर के रहने वाले थे। उनकी मात्रभूमि कानपुर थी। जुगुल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता जाकर हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड निकाला था। जो हिन्दी का पहला समाचार पत्र बना।
उदंत मार्तंड साप्ताहिक समाचार पत्र था। और इसे 16 फ़रवरी 1826 को कलकत्ता से निकाला गया था। कलकत्ता में इससे पहले अंग्रेजी और बांग्ला के अखबार निकलते थे पर कानपुर निवासी पण्डित युगल किशोर शुक्ल ने एक बांग्ला भाषी प्रदेश में जाकर हिंदी का सिंहनाद किया और हिंदी का अखबार निकाला। उदंत मार्तंड को पहला अंक आज भी कलकत्ता लाइब्रेरी में रखा है। इसी पर भारत सरकार ने डाक टिकट भी जारी किया था। भारी खर्चे और तमाम मजबूरियों के कारण उदंत मार्तंड के 79 अंक ही निकल सके और दिसंबर 1827 में इसका आखिरी अंक निकाल कर इसे बंद होना पड़ा। पर ये कानपुर के पानी का ही जज्बा था कि कानपुर के जुगुल किशोर शुक्ल ने कलकत्ते से हिंदी का पहला अखबार निकाला।
कानपुर से 1871 में हिन्दू प्रकाश तथा सन 1879 शुभ चिंतक अखबार निकले पर धन के अभाव तथा अन्य कारणों से ये जल्द जी बन्द हो गए। सन 18 75 में स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की जिसका असर कानपुर पर भी पड़ा और कानपुर में पण्डित रामदीन और पण्डित प्रताप नारायण मिश्र आदि नवयुवकों ने कानपुर में आर्य समाज की स्थापना की। और ये आर्य समाजी पादरियों और अंग्रेजो से मोर्चा लेने लगे। 15 मार्च 1883 को पण्डित प्रताप नारायण मिश्र ने कानपुर से अपना अखबार ब्राह्मण निकला। इस अखबार के माध्यम से गो हत्या,कुरीतियों, आडंबरों पर खूब प्रहार किए और अत्याचारी अंग्रेज सरकार का विरोध जमकर किया गया।
प्रताप नारायण मिश्र का एक व्यंग्य देखिए
सब धन लिए जात अंग्रेज
हम केवल बातन के तेज ।।
पढ़ी कमाय किन्हो कहां
हरो न देश कलेश।
जैसे कंता घर रहें
वैसे रहें विदेश।।
लेखक- शिवचरण चौहान,कानपुर