पुरातत्व व कला तीर्थ : कानपुर के बेहटा का जगन्नाथ मन्दिर

 

दशावतार उत्कीर्णित भगवान विष्णु की प्रतिमा है पूजित

*******************************************

घाटमपुर तहसील के पूर्वी भाग मे सुविख्यात भीतरगाँव मन्दिर के समीप ही बेहटा मे पुरामहत्व का कलातीर्थ जगन्नाथ मंदिर विद्यमान है । वाह्य रूप लगभग डेढ़ सौ वर्ष प्राचीन स्तूपाकार सा दिखने वाला मंदिर पुरा भग्नावशेषों से एक ऊँचे चबूतरे पर निर्मित है । पुराविदों के मुताबिक उक्त स्थान पर मध्यकाल मे (१००० – ११०० A D ) एक विशाल प्रस्तर मन्दिर था, जो कालान्तर मे नष्ट हो गया था , लेकिन गर्भगृह का आंशिक भाग बचा रहा जिसमें से भगवान विष्णु की एक विशाल पाषाण प्रतिमा पूर्ववत स्थान पर थी जिसे आसपास के बिखरे प्राचीन स्थापत्य व पाषाण खण्डो से जोड़ कर मन्दिर को स्तूपाकार बना दिया गया ।

मन्दिर मे प्रवेश करते ही अन्धकारमय मार्ग से गर्भगृह मे दाखिल होते है । मंदिर का गर्भगृह कई अलंकृत प्रस्तर स्तम्भों से निर्मित है भीतरी छत कीर्तिमुख व पत्रलता आदि अलंकरण है। मन्दिर को विभिन्न तोरण, स्तम्भ, व उतरंगा आदि नवनिर्माण मे उपयोग मे आए है। गर्भगृह मे एक विशाल प्रस्तरोत्कीर्णित विष्णु प्रतिमा भगवान जगन्नाथ के रूप पूजित व ख्यात है । लगभग दस फुट उँची यह विष्णु प्रतिमा एक ऊँचे से पादपीठ पर प्रतिष्ठित है । प्रतिमा का मुख व भुजाएँ क्षतिग्रस्त है । प्रधान विष्णु प्रतिमा के विकृत मुख को श्यामवर्णीय आलेप कर जगन्नाथ के रूप मे मान्यता दे कर वर्तमान मे भी पूजा जाता है । भगवान विष्णु (जगन्नाथ ) समभंग मुद्रा मे खड़े हुए हैं, प्रतिमा किरीट विहीन केवल वैजयन्तीमाला, यज्ञोपवीत, नूपुर व मेखला अलंकृत है । प्रतिमा के शिरोभाग के पीछे कमलपलांकित शिरश्चक्र है, ऊपर की ओर पुष्पमालाधारी युग्म विद्याधरों को अंकित किया गया है। तोरण में विष्णु के शिर जे ऊपर तीन विभिन्न रथिकाओं मे त्रिमूर्ति ( ब्रह्मा-विष्णु-महेश) अंकित है। विष्णु प्रतिमा के चरणों के निकट गदा देवी व शंख, पुष्प का निरूपण है । मुख्य प्रतिमा के पार्श्व मे कुछ लघु प्रतिमाएँ भी पूजित है । प्रतिमा के परिकर में विभिन्न रथिकाओं में विष्णु के विविध अवतार ( दशावतार) उत्कीर्णित है।

कानपुर की एकलौती विशाल विष्णु प्रतिमा,मंदिर।से

जनपद मे इतनी विशाल विष्णु प्रतिमा इकलौती है अब तक इतनी विशाल प्रतिमा अन्यत्र उपलब्ध नहीं है। गर्भ गृह की छत के मध्य के प्रस्तर से मानसून आगमन पर वाष्पीकृत होकर कुछ पानी की बूँदे गिरने की भी बात ख्यात है । जो मानसून आगमन का संकेत देता है ।

अन्य देवताओं की प्रतिमा भी है स्थापित 

जगन्नाथ मन्दिर के प्रवेश द्वार व गर्भ गृह के मध्य मार्ग मे दोनो ओर अन्धकारपूर्ण कक्ष है जिसमे एक मे मध्यकालीन शेषशायी विष्णु की शयनमुद्रा मे प्रतिमा है । चतुर्भुजी विष्णु शेषशैया पर शेष फणों के घटाटोप छाया मे विश्राम करते अंकित है बायाँ चरण मुढ़ा है व फैला हुआ दाहिना चरण खंडित है । उठे हुए दाहिने हाथ मे गदा है जबकि एक अन्य दाहिने हाथ पर उनका किरीटधारी शिर पर आश्रित है। बांयी ओर का एक हाथ खंडित है दूसरे मे चक्र। नाभि से उत्पन्न कमल पर पद्मासन मे ब्रह्मा अंकित है। दूसरे कक्ष मे सूर्य की भव्य समभंग खड़ी हुई मुद्रा की प्रतिमा है । शिरोभाग के पीछे भव्य प्रभामंडल है । भगवान सूर्य किरीट , कुंडल, हार, यज्ञोपवीत,कौस्तुभ वनमाला व मेखला अंकित है ।पादपीठ के नीचे सूर्य अश्वों का सुन्दर व गतिशील अंकन है । आंशिक रूप से खंडित प्रतिमा दर्शनीय है । यहाँ पर नृत्यगणेश व उमामहेश्वर की प्रतिमा भी दर्शनीय है । मन्दिर के बाहर चबूतरे पर विशाल अलंकृत द्वारशाखाएँ व मूर्तियोँ के खंडितवशेष मौजूद है ।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सन १९२० ई० से यह स्मारक संरक्षित है।

अनूप कुमार शुक्ल

महासचिव , कानपुर इतिहास समिति कानपुर

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *