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कानपुर देहात के मंदिरों में स्वयं विराजे भोलेनाथ

बाणासुर द्वारा स्थापित है बनीपारा का शिवलिंग

किवदंती है कि बाणासुर की पुत्री ऊषा ने दासी चित्रलेखा के जरिये भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनुरुद्ध का अपरहण करा लिया था। भगवान श्री कृष्ण व बाणासुर के बीच युद्ध होने पर नगर नष्ट हो गया। बाद में राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने नगर को फिर से बसाकर बाणापुरा जन्मेजय नाम दिया। बेटी ऊषा की भक्ति को देखते हुए बाणासुर ने कैलाश पर्वत जाकर बाबा शिव को प्रसन्न कर शिव प्रदत्त शिवलिंग को कानपुर देहात के बनीपारा जिनाई गांव में स्थापित किया। यहीं के रहने वाले सिमरामऊ के राघव अग्निहोत्री, बनीपारा के राजू श्रीवास्तव ने बताया कि शिवलिंग अति प्राचीन है।

शिवली में शिवलिंग के रूप में स्वयं विराजे भोलेनाथ
शिवली कस्बा का प्राचीन मंदिर जागेश्वर अपने में कई रहस्य समेटे है। इसे स्थापित नही किया गया है। बल्कि यह स्वय प्रकट हुआ है शिवलिंग के बारे में मान्यता है। कि ये सीधे पाताल से जुड़ा है। भक्तों की अगाध आस्था है। बड़ी संख्या में भक्त दर्शनार्थ आते हैं। इसी शिवलिंग के नाम पर कस्बे के नाम शिवली पड़ा है।

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