उत्तर प्रदेश में ग्रामीण अंचल तक पनपता भ्रष्टाचार
संपादकीय—-
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार किस तरह से फैला हुआ है। और इसकी जड़ें आम लोगों को किस तरह प्रभावित कर रही हैं। इसकी बानगी अखबारों में हाल ही में छपी खबरो में देखी जा सकती है। अभी तक भ्रष्टाचार शहरों में फैला हुआ था अब ग्रामीण अंचल भी बुरी तरह से इसकी गिरफ्त में हैं। सीधे शब्दों में कहे तो बिना जेब गर्म किए ग्रामीणों के काम नही हो पा रहे हैं। यह तो कुछ मसले हैं जो पकड़ में सामने आ गए। निचले स्तर पर तहसील में किसान अपनी छोटी छोटी समस्याओं के लिए सालों दौड़ लगाते रहते हैं। नगर निकायों में किस तरह भ्रष्टाचार का घुन लगा है। यह किसी से छिपा नही है। सरकार को भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ठोस उपाय करने होगे। अगर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाकर काम होते रहे तो आम लोगों का भरोसा कम हो जाएगा।
पहला मसला कन्नौज जिले की छिबरामऊ तहसील का है। जिसमें सलेमपुर गांव के किसान वीरेश ने भूमि पैमाइस के लिए वाद दायर किया था। किसान का आरोप है कि लेखपाल रोहित इसके एवज में पचास हजार रुपयों की मांग कर रहा था। दस हजार रुपए पर सहमति बनी।डीआईजी एंटी करप्शन राजीव मल्होत्रा ने सूचना पर एक टीम लगा दी। एंटी करप्शन टीम ने लेखपाल को घूस लेते लेखपाल को रंगे हाथ पकड़ लिया। दूसरे मसले में जिला कानपुर देहात की नगर पंचायत अकबरपुर में तैनात ईओ देवहूति पांडेय,व मैनपुरी जिले की घिरोर नगर पंचायत के ईओ नीलाभ शाल्या को स्थानीय निकाय की निदेशक नेहा शर्मा ने निलंबित कर दिया। दोनो ईओ पर वित्तीय अनियमितता व भ्रष्टाचार करने के गंभीर आरोप हैं। तीसरे मसले में भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई कर रही कोर्ट को चौदह जिलों की पुलिस 80 मामलों रिपोर्ट पेश नही कर रही है। जिससे समय से मामलों का निस्तारण नही हो पा रहा है। यह मामले झांसी,बांदा,महोबा,फर्रुखाबाद,कानपुर देहात,जालौन,कन्नौज,लखीमपुर खीरी, ललितपुर, हमीरपुर, इटावा,हरदोई आज जिलों के भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश लोकेश वरुण को अभियोजन के महानिदेशक को पत्र लिखकर समय से रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहना पड़ा है।
लेखक-गीतेश अग्निहोत्री,वरिष्ठ पत्रकार