मानव सेवा संगठन की महासचिव ने दीपावली के पर्व पर लोगों को व्यसनों से दूर रहने की दी सलाह 

 इस दिवाली घर के साथ अपनी आत्मा को भी प्रकाशित करें – अक्षिता आशीष

9 नवम्बर 2023/ सुनाद न्यूज 

असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥

 

बाजारों में सजी विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी लाइटों और दीयों को देख कर अचानक ही मुझे इस श्लोक का स्मरण हो आया। ये श्लोक जो दीपावली के इस पावन त्यौहार का आधार है, मैं सोच में पड़ गई कि क्या इन दीयों और लाइटों से सच में हम प्रकाशमान हो सकते हैं? ये कैसा अंधकार है जो दिवाली पर हर साल हजारों लाखों करोड़ों दीप जलाने के बाद भी दूर ही नहीं होता? क्या वाकई प्रकाशोत्सव का अर्थ सिर्फ भौतिक संसार को प्रकाशित करने से है? निश्चित ही नहीं, वरन् अंधकार पर प्रकाश की विजय का ये पर्व एक अवसर है जब हमें ये निश्चित करना चाहिए कि हम अपने अंदर के सभी अज्ञान को नष्ट कर ज्ञान से खुद को प्रकाशित कर अपनी आत्मा को सत्य का बोध करा असत्य से सत्य की ओर ले चलें, वो सत्य जो आत्मा को मृत्यु से अमरता की ओर लेकर जाए अर्थात् जीवन मरण के चक्र से मुक्ति प्रदान कर उस परम ब्रम्ह में विलीन हो सच्चिदानंद स्वरुप को प्राप्त करे।

ये दुर्भाग्य ही है कि निरंतर बढ़ती हुई भोगवादी प्रवृत्ति की वजह से आत्मा के जागरण का ये पर्व शराब, जुए और विभिन्न प्रकार की वासना और तामसिक आचरण का अवसर बनता जा रहा है। लोग त्योहारों के पीछे छुपे गूढ़ ज्ञान और उद्देश्य को नजरंदाज कर केवल कर्मकांडों, भौतिक सुख और भोग को ही जीवन का केंद्र बनाते जा रहें हैं। धर्म एक चर्चा का विषय मात्र बनकर रह गया है, यही कारण है कि लाखों, करोड़ों दीप जलाने के बाद भी अंधकार जस का तस रहता है, दीवाली आती है चली जाती है लेकिन हमारे मन का अंधेरा दूर नहीं होता। तो यदि आप सही अर्थों में धार्मिक आध्यात्मिक दिवाली मनाना चाहते हैं तो इस दिवाली कुछ नया करें, अपने घर के साथ – साथ अपने मन और अपने आत्मा की भी सफाई कर उसे रौशन करें और अंधकार से प्रकाश की ओर लेकर जाएं।

अक्षिता आशीष

महासचिव

मानव सेवा संगठन

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *