शिवली में बिराजे हैं जागेश्वर बाबा
शिवलिंग के नाम पर कस्बे का नामकरण है शिवली
सुनाद न्यूज
17 फरवरी 2023
राजू शुक्ला
कानपुर देहात। जिले के शिवली क्षेत्र के पांडव नदी के समीप स्थित प्राचीन जागेश्वर मंदिर। इसी मंदिर के शिवलिंग की वजह से कस्बे का नाम शिवली पड़ा है। इसी मंदिर में विराजमान है अवढर दानी भोलेबाबा का शिवलिंग जिसके बारे में मान्यता है की वह स्वयं धरती से प्रकट हुआ है। शिवलिंग का दूसरा छोर पाताल से जुड़ा है। बताते चले की प्राचीन समय में बंजारों की एक गाय टीले पर एक जगह दूध गिराने लगती थी । चरवाहों को शंका होने पर उन लोगो ने यहाँ खुदाई करवाई तो शिवलिंग पाया गया।
18वीं शताब्दी में शिव जी के परमभक्त देवनाथ दुबे ने मंदिर और तालाब का निर्माण करवाया था। अव यहाँ पर कई देवी देवताओ के मंदिर स्थापित हो चुके है। मंदिर के बारे में मान्यता है की यह भोले बाबा का सच्चा दरबार है। यहाँ श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता है।
यहाँ के भक्तों का मानना है की जो बाबा भोलेनाथ से सच्चे दिल से मन्नत मागता है बाबा उसे पूरा करते है। सावन में हजारों की संख्या में दूर दराज के क्षेत्रों से यंहा महादेव के दर्शनों को श्रद्धालु पँहुचते है मान्यता है कि जागेश्वर मन्दिर के शिवलिंग का दूसरा छोर पाताल से जुड़ा है शिवलिंग के अभिषेक से सुख सम्रद्धि की प्राप्ति होती है। मंदिर के पुजारी राकेश ने बताया मन्दिर में प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के दिन बाबा भोले का श्रंगार होता है। शिवरात्रि पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। शिवकुमार तिवारी बताते हैं। प्रतिवर्ष बाबा का अवतरण दिवस मनाया जाता है। शिवली के उत्तर में पांडु नदी के किनारे स्थित है जागेश्वर मंदिर।स्टेट हाइवे 68 चौबेपुर विधूना मार्ग पर उत्तर दिशा की ओर चलकर मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है। मन्दिर के दो सौ मीटर दूरी पर शिवली कोतवाली भी बनी है। कस्बे के प्रमुख समाजसेवी दिनेश कुमार प्रजापति ने कहा कि शिवली व आसपास के जन जन की आस्था के प्रतीक जागेश्वर बाबा हैं।