अदभुत-शिवली के शिवलिंग का दूसरा छोर पाताल तक जुड़ा

 

 

शिवलिंग के नाम पर शिवली का नामकरण हुआ

सुनाद न्यूज

18 जुलाई 2022

कानपुर देहात। जिले के कस्बा शिवली के जागेश्वर मंदिर के शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है। इसी शिवलिंग के नाम पर कस्बे का नाम शिवली पड़ा है। वर्तमान समय मे शिवली के नाम से नगर पंचायत स्थापित है।
क्षेत्र से होकर पांडव नदी के समीप प्राचीन जागेश्वर मंदिर स्थित है।
मान्यता है कि यहां का शिवलिंग स्वयं धरती से प्रकट हुआ है। शिवलिंग का दूसरा छोर पाताल से जुड़ा है। बताते चले की प्राचीन समय में बंजारों की एक गाय टीले पर एक जगह दूध गिराने लगती थी। चरवाहों ने यहाँ खुदाई करवाई तो शिवलिंग पाया गया। 18वीं शताब्दी में शिव जी के परमभक्त देवनाथ दुबे ने मंदिर और तालाब व कुआं का निर्माण करवाया था। मंदिर परिसर में कई देवी देवताओ के मंदिर स्थापित हो चुके है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि भक्तों की यहां मनोकामनाएं पूरी होती हैं।सावन महीने में श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता है। बड़ी संख्या में दूर दराज के क्षेत्रों से यहां महादेव के दर्शनों को श्रद्धालु पँहुचते है। मान्यता है कि जागेश्वर मन्दिर के शिवलिंग का दूसरा छोर पाताल से जुड़ा है शिवलिंग के अभिषेक से सुख सम्रद्धि की प्राप्ति होती है। मंदिर के पुजारी राकेश ने बताया मन्दिर में प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के दिन बाबा भोले का श्रंगार होता है।कस्बे के शिवकुमार तिवारी बताते हैं। प्रतिवर्ष बाबा का अवतरण दिवस मनाया जाता है। शिवली के उत्तर में पांडु नदी के किनारे स्थित है जागेश्वर मंदिर।स्टेट हाइवे 68 चौबेपुर विधूना मार्ग पर उत्तर दिशा की ओर चलकर मन्दिर तक पहुंचा जा सकता है। मन्दिर के दो सौ मीटर दूरी पर शिवली कोतवाली भी बनी है। नगर पंचायत शिवली के चेयरमैन अवधेश शुक्ला ने मंदिर के परिसर विकसित करा दिया है।

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